नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। धन निर्धन को देत सदाहीं । जो कोई जांचे व
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। धन निर्धन को देत सदाहीं । जो कोई जांचे व